सरकार की गलत नीतियों के कारण आज महंगाई आसमान छू रही है। इस महंगाई में आम से लेकर खास को भी नाको चने चबाने पड़ रहे हैं। सभी परेषानियों से बेपरवाह सरकार केवल यह बयान जारी करती है कि जल्द ही महंगाई पर काबू पा लिया जाएगा। यह कैसी नीति है किसी को भी समझ में नहीं आ रही है कि आखिर सरकार क्या चाहती है? क्या गरीब जनता उनके दिलासों से अपने घर का चुल्हा फुकें या अंत में जन आंदोलन कर उस सरकार को गद्दी से उठा फेंके। जिस प्याज ने कभी ऐसा रुलाया था कि उस समय की वर्तमान वाजपेयी सरकार को चुनाव में औंधे मुहं गिरनी पड़ी थी। लो आज भी फिर वही घड़ी आयी है। आज प्याज 80रुपया और लहसुन 250 रुपये बिक रहे हैं। प्याज की कीमतों में अप्रत्याषित वृद्धि ने सरकार की नींद हराम कर दिया है। सरकार आनन-फानन में केन्द्र और राज्य स्तर पर जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। अधिक से अधिक प्याज आयात करने पर जोर दिया जा रहा है। प्रष्न यह उठता है कि जो कदम आज उठाया जा रहा है वह चीजों के दाम बढ़ने के पहले क्यों नहीं उठायी जाती है। क्या उनको वस्तुओं के दाम बढ़ने की जानकारी नहीं होती है, या जानबुझ कर आम जनता के अरमानों के गला घोंटने की साजिष की जाती है। कारण कोई भी हो सरकार को प्याज और लहसुन जैसी रोजमर्रा की खाद्य पदार्थों के कीमतों पर लगाम लगाना ही पड़ेगा, नही तो ये प्याज सरकार को रोने तक का मौका नहीं देगा।
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