Thursday, December 9, 2010

वसुधैव कटूम्कम

वसुधैव कटूम्कम का नारा बुलंद करने वाला भारत आज खुद अन्याय और अत्याचार का शिकार हो रहा है। पूरे विश्व में यहां के नागरिकों के साथ दुवर््वहार हो रहा है। चाहे आस्ट्रेलिया कनाडा में भारतीय छात्राों पर जानलेवा हमला हो या फिर पूर्व राष्ट्रपति अब्दूल कलाम और बालीवूड के सुपर स्टार शाहरूख खान के एयरपोर्ट पर हुए उनके साथ दुवर््यवहार भारतीय अस्मिता को तार-तार किया है। अगर अभी भी सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो भारतीय का विदेश जाना दुर्भर हो जाएगा। कहीं देशवासियों का संपर्क ही ना टूट जाये क्योंकि भारतीयों का खुन में, बेइज्जती सहना स्वीकार नहीं है। हाल में ही अमेरिकी राश्ट्रपति बराक ओबामा ने माना है भारत एक विष्वाक्ति बन चुका है। इसलिए तो यहां अपने यहां बेरोजगारी समाप्त करने के लिए रोजगार तलाषने के लिए आये थे। इस वैश्वीकरण के दौर में जहां भारत दुनियां व्यापार से लेकर सॉफ्रटवेयर इंडस्ट्रीज तक एकछत्रा राज बना हुआ है वैसी परिस्थति में नातो भारतीयों के लिए यह अच्छा रहेगा और नाहि विश्व समुदाय के लिए हीं क्योंकि विश्व के लिए भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। इसमें ना सिर्फ भारत के नागरिकों का नुकसान है अपितु सम्पूर्ण विश्व में मौजूद कार्मिक नागरिकों का भी नुकसान है जो कि दुनियां भर में भारत के बाहर और भारत में काम कर रहे हैं। वे बेरोजगार हो जायेंगे। इसलिए वैसुधैव कटूम्कम की भावना ना सिर्फ भारतीयों के लिए अपितु विश्व में मौजूद सभी देशों अति आवश्यक है। इससे विश्व बंधुत्व की भावना पैदा होगी, और नस्लवाद को समाप्त करने में यह एक बड़े हथियार में काम आयेगा। इस लिए भारतीयों के साथ हो दुवर््यवहार को मानवीय मूल्यों पर कुठाराघात मानकर सतापक्ष विपक्ष को एक सूर में आवाज उठानी होगी। हमें दुनियां के सामने फिर से स्वामी विवेकानन्द की शिकागो में दिये उस भाषण को याद दिलाना होगा जिसमें उन्होंने दुनियां भाई-बहन के मायने से अवगत कराया था। विश्व गुरू कहे जाने वाले भारत को दुनियां से यह बताना जरूरी हो गया है कि हमसे है जमाना, जमाने से हम नहीं।

No comments:

Post a Comment