Monday, December 6, 2010

बचपन

बचपन है खेल का मेल का बिना मन मैल का
रंजिस से नहीं करते जिन्दगियां बर्बाद,
इनके दिलों नहीं होती गाद।
बचपन को बचपन ही रहने दो बोझ न डालो।
नाजूक कंधे है इनके बोझ ढो न पायेंगे,
ढो भी लिये तो गांठ पड़ जायेंगे।
इनके अन्दर की आशा को न मारो,
ये आसमां छूना चाहते हैं,
इधर-उधर विचरना चाहते हैं।
बारिस की बुंदों में खुद को भिंगोना चाहते हैं।
आगे बढ़ना चाहते हैं, इनके कदम मत रोको।
ये हिमालय की चोटी चढ़ना चाहते हैं।
मुश्किलों में दुश्मनों को पैरों से मार भगाना चाहते हैं।
बचपन को जवानी से पहले मौत के कुएं में मत ढकेलो,
बचपन जवानी की पहली दहलीज है,
इसे मत कुरेदो,
कमल की तरह खिलने दो।
किचड़ है इसका गम नहीं,
खुबसूरती को देखो, गुणों को परखो।
बचपन को बचपन ही रहने दो रवानी मत बनाओ
बचपन है खेल का, मेल का बिना मन मैल का

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