Thursday, February 10, 2011

ये कैसी पूजा

पल-पल न माने है टिंकू जिया इश्क का मंजन घिसे है पिया। इस गानों ने सरस्वती पूजा के अवसर पर लगभग पूरे पंडाल पर धमाल मचाया। पूजा पर मां गाने का तो नामों निशान पता नहीं चल रहा था। दुर्गा पूजा हो या सरस्वती पूजा नौजवानों इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन मां के प्रति ये कैसी श्रद्धा है जो इन नौजवानों को शराब की बोतलों में रमकर खून-खराबे में खत्म होती है। पंडाल सजाने से लेकर मूर्ति सजाने और पूजा पाठ तक मां के भक्ति में लीन इन युवाओं को देखकर ऐसा लगता ही नही है विद्या और शक्ति के पुजारी मां के अंतिम विदाई पर शराब के नशे में धुत्त होकर लड़कियों के साथ कैसे छेड़खानी शुरू कर देते हैं। और ऑस्केस्ट्रा में नचानेवालियों के साथ अश्लील गानों नी मर्यादा के सारी हदे तोड़ डालते हैं। मूर्ति विसर्जन को जाते इन युवाओं को जब हमने अश्लील गानों पर नाचनेवाली के साथ अभद्र व्यवहार करते देखा तो सिर शर्म से झुक गया, लगा जिस देश में लड़की को साक्षात मां का रूप माना गया है उसे सरेआम युवाओं द्वारा बेइज्जत किया जा रहा है। यह कैसी अस्मिता है। सरस्वती विसर्जन के लिए जाते-जाते इन्हें न जाने क्या हो जाता है। शराब की बोतले खुलनी शुरू हो जाती है। मजाक-मजाक की बात पर लड़ने-झगने को आतुर हो जाते हैं स्थिति मार-पीट से खून-खराबे में बदल जाती है। ऐसी घटना का गवाह हर साल मां दुर्गा और सरस्वती मां बनता रहा है।
कई लोगों की जानें भी गई है। ये युवा कब अपने मार्ग से भटक से जाते हैं। किसी को पता भी नहीं चलता है। जो मां की अस्मिता को तार-तार कर देता है।

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