सोच जो इंसान को इंसान बनाए
Saturday, February 5, 2011
तुलसी
अबकी बारिश ऐसी रुठी
आंगन की तुलसी सुखी
पिछले बरस हरी-भरी थी
बगिया मेरी
चम्पा-चमेली, गुलाब की खुशबू में
तुलसी थी खूब इठलाती
बादल के मंडराने पर कैसी थी गाती
पीली पड़ी पत्ती पर आंशु बहाती
अबकी बारिश ऐसी रुठी
आंगन की तुलसी सुखी
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