Saturday, February 12, 2011

प्रवृत्तियां


वाह रे मनुष्य वाह रे तेरी प्रवृत्तियां
दुख में भी खुश होकर जीना चाहता है।
मृत्यु की सईयां पर लेटकर,
जीवन का एक क्षण जीना चाहता है।
हर पल लड़ता है अपने दुखों से,
फिर भी हंसकर सबको दिखाना चाहता है।
वाह रे मनुष्य, वाह रे तेरी प्रवृत्तियां
कर्म की कमी नहीं,
पर बैठकर खाने का आनंद उठाना चाहता है।
चाहे धन कितना अर्जित कर ले,
पर धन का लोभ नहीं छोड़ना चाहता है।
अपनो ंकी कमी नहीं,
फिर भी दूसरों में अपनों को ढूढ़ना चाहता है।
वाह रे मनुष्य, वाह रे तेरी प्रवृत्तियां
ढूंढों तो सुन्दरता की कमी नहीं,
पर सुन्दर बनने का ढोंग रचाना चाहता है।
राम के नाम को गाली देकर,
राम नाम जपना चाहता है।
बेटा-बेटी एक समान है
पर बेटा से अपना अंतिम संस्कार चाहता है।
वाह रे मनुष्य, वाह रे प्रवृत्तियां

भूल

कभी जिंदगी कभी किताब है,
इस भूल का अलग ही शबाब है।
चैन लेकर बेचैनी देती है,
कभी अनछुआ एहसास बनकर मन को हंसाती है।
जागे-जागे आंखों मेंअनदेखा ख्याव है
कभी जिन्दगी कभी किताब है,
इस भूल का अलग ही शबाब है।
जितना पवित्र, उतना ही निर्मल
इसका तो हर रूप निराला है।
रातों को सितारे बनकर मन को जगमगाति है
दिन में सच बनकर सामने आती है।
बिन पीये जो नशा ला दे ये ऐसा शराब है।
कभी जिन्दगी, कभी किताब है।
इस भूल का अलग ही शबाब है।
फूलों से नाजूक रिश्ता है यह
बिन छुये ही टूट जाये
कभी जन्म-जन्म का बंधन
बनकर जीवन भर साथ निभाये
प्रेम पर मर-मिटने को हर पल बेताब है।
कभी जिन्दगी, कभी किताब है,
इस भूल का अलग ही शबाब है।

Thursday, February 10, 2011

ये कैसी पूजा

पल-पल न माने है टिंकू जिया इश्क का मंजन घिसे है पिया। इस गानों ने सरस्वती पूजा के अवसर पर लगभग पूरे पंडाल पर धमाल मचाया। पूजा पर मां गाने का तो नामों निशान पता नहीं चल रहा था। दुर्गा पूजा हो या सरस्वती पूजा नौजवानों इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन मां के प्रति ये कैसी श्रद्धा है जो इन नौजवानों को शराब की बोतलों में रमकर खून-खराबे में खत्म होती है। पंडाल सजाने से लेकर मूर्ति सजाने और पूजा पाठ तक मां के भक्ति में लीन इन युवाओं को देखकर ऐसा लगता ही नही है विद्या और शक्ति के पुजारी मां के अंतिम विदाई पर शराब के नशे में धुत्त होकर लड़कियों के साथ कैसे छेड़खानी शुरू कर देते हैं। और ऑस्केस्ट्रा में नचानेवालियों के साथ अश्लील गानों नी मर्यादा के सारी हदे तोड़ डालते हैं। मूर्ति विसर्जन को जाते इन युवाओं को जब हमने अश्लील गानों पर नाचनेवाली के साथ अभद्र व्यवहार करते देखा तो सिर शर्म से झुक गया, लगा जिस देश में लड़की को साक्षात मां का रूप माना गया है उसे सरेआम युवाओं द्वारा बेइज्जत किया जा रहा है। यह कैसी अस्मिता है। सरस्वती विसर्जन के लिए जाते-जाते इन्हें न जाने क्या हो जाता है। शराब की बोतले खुलनी शुरू हो जाती है। मजाक-मजाक की बात पर लड़ने-झगने को आतुर हो जाते हैं स्थिति मार-पीट से खून-खराबे में बदल जाती है। ऐसी घटना का गवाह हर साल मां दुर्गा और सरस्वती मां बनता रहा है।
कई लोगों की जानें भी गई है। ये युवा कब अपने मार्ग से भटक से जाते हैं। किसी को पता भी नहीं चलता है। जो मां की अस्मिता को तार-तार कर देता है।

Tuesday, February 8, 2011

मां और वसंत पंचमी



वंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा पूरे श्रद्धा-भाव से किया गया। इस दिन विद्यार्थी और संगीत साधक का मां के प्रति साधना ने यह साबित कर दिया है कि आज के वैज्ञानिक युग में भी सरस्वती पूजन का कितना महत्व है। सरस्वती पूजा के पहले ही बच्चे इसकी तैयारी में लग जाते हैं। ऐसा माना जाता है भारतीय सभ्यता-संस्कृति में वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को गुलाल चढ़ाया जाता है और इसके साथ ही होली पर्व की शुरूआत हो जाती है। विद्या की देवी मां सरस्वती ने वसंत पंचमी को सचमुच महान बना दिया है।

Saturday, February 5, 2011

तुलसी


अबकी बारिश ऐसी रुठी
आंगन की तुलसी सुखी
पिछले बरस हरी-भरी थी
बगिया मेरी
चम्पा-चमेली, गुलाब की खुशबू में
तुलसी थी खूब इठलाती
बादल के मंडराने पर कैसी थी गाती
पीली पड़ी पत्ती पर आंशु बहाती
अबकी बारिश ऐसी रुठी
आंगन की तुलसी सुखी

कहीं बाढ़, कहीं सुखाड़


कहीं बाढ़, कहीं सुखाड़
लोग हो रहे लाचार
प्यासी धरती सिना चिरे
वर्षा की एक बुंद तो गिरे
महंगाई ने कमर तोड़ी
भूखे पेट सोने की मजबूरी
सूखे की कैसे झेले मार
बेवसी पर सो रहा संसार
सारे तंत्र हो रहे विफल
सब लाचार, सब बेकार
कहीं बाढ़, कहीं सुखाड़
पल भर मं उजड़े सारे आशियाने
मौत के आगोश में समायी जाने
सरकार करती हवाई दौरे
यहां पड़ रही पेट पर कोड़े
अपने ही अपनों से मुहं फेरे
ईश्वरी प्रकोप ने मचाया ऐसा भूचाल
कहीं बाढ़, कहीं सुखाड़
लोग हो रहे लाचार
सोचा मेरा दु:ख सबसे बड़ा
देखकर उनका दुख
वो भी हुआ थोड़ा
कौन करे किससे गुहार,
कैसे बताएं अपना हाल
राहत पैकेज से जिन्हें सरोकार
कहीं बाढ़, कहीं सुखाड़
लोग हो रहे लाचार