Tuesday, November 30, 2010

जवान की अभिलाषा

सविता


माथे पर बांधे कफन तेरे खातिर ये वतन
हर जर्रे-जर्रे पर लिख देंगे वन्दे मातरम
गर मेरी शहादत से संवरता है ये चमन
ऐ मादरे वतन तुझे समर्पित हर जनम
च्ीन हो या पाकिस्तान करे चाहे जितना जतन
छु न पायेंगे तेरे अंश को भी देता हुं तुझे वचन
माना तेरे ही कुछ बेटे तुझे ध्वस्त करने को आतुर हैं।
मलूम नहीं बनाकर मोहरा आतंकी बनाता कोई और है।
वे अभी नादान हैं अंजाम से अंजान हैं,
पल मे खिंच जायेगी जीवन की डोर
हो न पायेगा उनका कभी भी भोर।
देना मां मुझे ऐसा पफौलादी बदन
एक ही प्रहार से थर्रा जाये दुश्मन
माथं पर बांध्े कफन तेरे खातिर ऐ वतन
हर जर्रे-जर्रे पे लिख देंगे वन्देमातरम

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