Thursday, November 18, 2010


घोटालों का पर्दाफाश करें अमीर लोग
मुझे याद है जब एक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मनरेगा में हो रहे धांधली को लेकर ई-शक्ति योजना का शुभारंभ किया था और भष्टाचार की बात अवगत होते हुए अपने अधिकारियों को कहा था कि चुनाव में केवल एक साल बच गये है। ऐसा कुछ मत कीजिएगा कि जिससे नाम बदनाम ना हो। आज के समय में जिस प्रकार रोज-दर-रोज नए घोटालों का पर्दाफाश हो रहा है। उससे ऐसा नहीं है कि ईमानदार व्यक्ति अनभिज्ञ होते हैं। लेकिन उनकी चुप्पी और साथ लेकर चलने की नीति के कारण भष्ट लोग गलती पर गलती चले जाते हैं। जिसका खामियाजा ईमानदार आदमी को तो भुगतना ही पड़ता है साथ ही साथ उसका व्यापक असर पूरे जन मानस पर भी पड़ता है।
आज मूलभूत सुविधा रोटी, कपड़ा, मकान हो या फिर शिक्षा, स्वास्थय और रोजगार का सवाल हो हर जगह बिना पैसा दिये बगैर कोई काम नहीं होता है। जिसके पास पैसा है वह आगे निकल जाता है लेकिन गरीब है दबता और दबता नहीं चला जाता है। कहा जाए तो आज की बढ़ती इच्छाओं में कदाचार घर कर गया है। अगर भष्टाचार को पूरी तरह खत्म करना है तो उन्हीं लोगों को सामने आना पड़ेगा जो ईमानदार और अमीर हैं। इसी तरह की पहल कुछ दिनों पहले रतन टाटा और राहुल बजाज जैसे सशक्त लोगों ने भष्टाचार के खिलाफ जो आवाज उठाया है उसे और बुलंद करने की जरुरत है। ये जिम्मेदारी अब उन्हीं के कंधों पर है क्यों कि उन जैसे लोग पैसे और ओहदा के बल पर अपना काम तो करवा लेते हैं। लेकिन इसमें पिसता है आम आदमी।

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