Monday, May 6, 2013

Shikayat



कोई शिकवा, कोई शिकायत नहीं
ये जिन्दगी तेरी सच्चाई से
प्यार मिला, पैसा मिला
तुने अच्छी किस्मत भी दी
फिर क्यों चंद लोगों ने नीचा दिखाया
जन्म लिया पिता ने मिठाइयां बाटी
कहा घर में लक्ष्मी आयी
चाची ने फिर क्यों मां को मेरे रंग पर कोसा
उन जैसी चाचियों का साथ न छुटा जिन्दगी भर
बदलते रहे रूप, नादला नीचा दिखाने का रुख
मेरी सफलता पर पिता इतराते
रिजल्ट साको दिखाते
बचपना बीता, जवानी आयी
छुप-छुपकर रोती
गुणो की वाहवाही सब करते
कभी पीठ पीछे तो कभी सामने मजाक उड़ाते
कोई शिकवा, कोई शिकायत नहीं
ये जिन्दगी तेरी सच्चाई से
पर एक कसक रहेगी जिन्दगी भर
ये ऊपर वाले क्यों सुन्दर बनाया नहीं

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