Thursday, October 18, 2012

हे कपाल कृपालिनी माँ दुर्गा, अब तो करो शंखनाद
तेरे भक्त हो रहे बेसहारा
नहीं सूझ रहा कोई दर दरवाजा
चारो ओर मचा है हाहाकार
बेटे माँ की, पिता पुत्री की लूट रहा अस्मत
भूख और गरीबी हो रही लोगो की किस्मत
देश के तारणहार, बन रहे मौत के सौदागर
तुझसे है बस एक गुहार
हे त्रिनेत्र धारिणी, ले एक बार फिर अवतार
कर महिषासुर रूपी राक्षसों का संहार

हर किसी में बसा है अंश
सुन माँ एक बार फिर दुखभरी पुकार
ख़त्म न हो जाये तेरे बच्चो का संसार
हे अष्टभुजाधारिणी माँ दुर्गा, अब तो करो शंखनाद

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