Thursday, October 18, 2012

हे कपाल कृपालिनी माँ दुर्गा, अब तो करो शंखनाद
तेरे भक्त हो रहे बेसहारा
नहीं सूझ रहा कोई दर दरवाजा
चारो ओर मचा है हाहाकार
बेटे माँ की, पिता पुत्री की लूट रहा अस्मत
भूख और गरीबी हो रही लोगो की किस्मत
देश के तारणहार, बन रहे मौत के सौदागर
तुझसे है बस एक गुहार
हे त्रिनेत्र धारिणी, ले एक बार फिर अवतार
कर महिषासुर रूपी राक्षसों का संहार

हर किसी में बसा है अंश
सुन माँ एक बार फिर दुखभरी पुकार
ख़त्म न हो जाये तेरे बच्चो का संसार
हे अष्टभुजाधारिणी माँ दुर्गा, अब तो करो शंखनाद

Friday, January 13, 2012

फर्जी नामांकन या महंगाई का असर

2004 के दिसंबर में किसी काम के सिलसिले में गांव जाने को हुआ। उस समय सरकारी स्कूलों में वार्षिक परीक्षा चल रही थी। गांव जैसे ही पहुंची परीक्षा देकर निकल रहे बच्चों की संख्या देखकर मैं अचंभित हो गई। सोच में पड़ गई कि क्या गांव के स्कूल में इतने बच्चे पढ़ते हैं। उसमें से कुछ रिश्ते में भाई-बहन भी लगते थे मैंने पूछा तुम तो शहर में रहते हो तो यहां परीक्षा दे रहे हो क्या तुम सदा के लिए गांव में आ गये हो बच्चों ने जबाव दिया दीदी हम यहां पढ़ते तो नहीं केवल एग्जाम देते हैं। मैं सोच कर हंसने लगी। फिर वहीं कुछ गरीब बच्चे भी मिले जो गरीब थे और वे भी शहर में रहते थे जब मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा दीदी हम भी सिर्फ परीक्षा ही देने आते हैं। कभी-कभी आकर क्लर्क को कुछ पैसे देते है। वे एटेंडेंस बना देते हैं। फिर मुझसे रहा नहीं गया मैंने पूछा तुम लोग ऐसा क्यों करते हो तो बच्चों मानो जवाबों की झड़ी लगा दी। पहला यहां हमलोग को फ्री में ड्रेस मिल जाता है दूसरा स्कॉलरशिप मिलता रहता है। शहर के प्राइवेट स्कूल में परीक्षा फीस अधिक लगती है। उस समय सरकारी स्कूलों में एडमिशन को ऐसी सोच थी आज तोे सरकारी योजनाओं की बाढ़ सी आ गई है। इन लाभकारी योजना का लाभ उठाना कौन नहीं चाहेगा, बच्चे तो बच्चे शिक्षक भी इस बढ़ती गंगा में हाथ साफ करने में लगे हैं। वे तो बच्चे मर गये उनका भी नाम एटेन्डेेंस रजिस्टर में चढ़ाकर खुद ही लाभी उठा रहे हैं। जिस समय भ्रष्टाचार और महंगाई से लोगों का जीना मुहाल है उस समय सरकारी स्कूल के योजना का लाभ उठाना ही मुनासिव समझते हैं। क्योंकि सरकारी स्कूल में क्या पढ़ाई होती है यह कौन नहीं जानता। अब जाकर सरकार तो अलर्ट हो गई है पर महंगाई से जूझ रही जनता अपनी तिकम अपनाने से बाज आयेगी। इसके लिए सबसे पहले जरूरी है सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सुधराने की।