Saturday, October 23, 2010

विकास बनाम विकास
आज के चुनावी माहौल में सभी एक मुद्दा विशेष रुप से उठा रहे वो है विकास। वैसे तो बिहार की राजनीति कई मामलों में चर्चा का विषय बनती रही है। जैसे जाति की राजनीति, दबंगों की राजनीति, लेकिन पहली बार इस राज्य में विकास का मुद्दा सबके सिर चढ़कर बोल रहा है। चाहे वो राजनीति पार्टी के नेता हो या फिर आम जनता। नेता को ले तो नीतीश कुमार आने शासन काल में किये गये विकास कार्यों के लिए खुद मिया मिट्ठू बन रहे हैं और विकास कार्यों को आगे जारी रखने और इसका मेहनताना मांगने के तौर पर पांच साल और मांग रहे हैं तो दूसरी तरफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद राज्य का विकास अपने शासनकाल में किये रेलवे के विकास की तरह करने की बात करते हुए कहते हैं कि एक बार मौका दीजिए राज्य को रेल की चमका देंगे। उनके इस दावे को राजद युवराज तेजस्वी भी सुर में सुर मिलाकर बोल रहे हैं। साथ ही इनके जोडीदार और दलितों के नेता कहे जाने वाले लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान का कहना है कि बिना दलितों के विकास के राज्य का विकास नहीं हो सकता है। इस वक्त मानों इन राजनैतिक पार्टियों के नेताओं के पास के मुद्दों की कमी हो गई है। राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार जिसके के लिए देश भर में बिहार चर्चा का विषय बनता रहा है। कभी राज्य के आर्थिक सशक्त माना जाने वाला यहां की 28 चीनी मिलें जो अब केवल लगभग सरकारी अनदेखी के कारण बंद पड़े है और उनमें से 9 ही चालू हैं। वे चीनी मिल भी अभी आधारभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। या फिर कोसी का महाप्रलय जो पूरे सीमांचल को बरसात में लील जाता है। अशिक्षा है, बेरोजगारी है। आज विकास के आगे मानों गौण दिखता मालूम पड़ रहा है। अगर कांग्रेस की बात ली जाए तो वह भी कहां पीछे रहने वाली थी। बिहार में अपनी साख बचाने के लिए कांग्रेस के कई दिग्गज नेता राज्य का चुनावी दौरा कर रहे हैं। और विकास के नाम को ठिकरा साबित कर रहे हैं सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी सहित सभी यही कहना है कि केन्द्र ने पहले के मुकाबले दुगुना पैसा दिया है। लेकिन राज्य सरकार ने उसका ठीक

Tuesday, October 19, 2010


har Soch ko pankh lagakar dekho fir kaise majil mil jati hai us manjil se soch udakar kar dekho pal bhar me a jaha apna ho jayega