कोई कैसे सहता है इतना दर्द। केवल अपने माता-पिता की इज्ज़त के लिए। औरतो के किस्मत की ऐ कैसी विद्बंवना है। जिस परिवार के लिए अपनी इच्छाए मारकर आतीं है। वहां उसे जिल्लत की जिन्दगी मिलती है। मै ऐ नहीं कहती सभी औरतो के साथ के साथ होता है। लेकिन भारत जैसे देश में ऐसा होते देख दिल दहल जाता है। यहा स्त्री को तो देवी माना जाता जाता है। फिर ऐसा क्यों है। मेरे घर के एक पिछले दस सालो से अपने पागल पति से रोज़ पिटती है।
केवल इस डर से की यहाँ से वह कहाँ जाएगी। एक तो गरीबी , उसपर उसका सुन्दर होना ही जी का जंजाल है। देखते- देखते दस साल बीत गए है तिन बच्चो की माँ बन गई है। मगर अह कोई नहीं जनता जानवरों की तरह पिट-पिट कर उसके शारीर की क्या स्थिति है। बस सह रही है और इज्ज़त ढो रही